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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

तुम अकेले नहीं हो — ईश्वर से जुड़ने का सच्चा मार्ग
साधक, जब तुम्हें ऐसा लगे कि तुम ईश्वर से पृथक हो, तो समझो कि यह भ्रम है, जैसे बादल सूरज को ढक लेते हैं, लेकिन सूरज छिपता नहीं। ईश्वर का प्रकाश सदा तुम्हारे भीतर ही है। चलो, इस भ्रम को दूर करने के लिए गीता के अमृतवचन से मार्गदर्शन लेते हैं।

जब कोई दूर चला जाए: दिल को समझाने का पहला कदम
साधक, जब कोई अपने रास्ते अलग करता है, तो दिल में भारीपन, अकेलापन और सवाल उठते हैं। यह स्वाभाविक है कि तुम्हारा मन उस दूरी को स्वीकार करने में जूझ रहा है। पर याद रखो, हर रिश्ता, हर जुड़ाव जीवन की एक अनमोल सीख है। चलो, गीता के प्रकाश में इस जटिल भाव को समझने की कोशिश करते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

यदाज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानांजलिरभासते।
तदात्मानं प्रकाशयेत् ततः सदृशं पण्डितः॥
(अध्याय 4, श्लोक 38)

रिश्तों की जटिलता में गीता का सहारा: जब संबंध टूटते हैं
साधक, रिश्ते हमारे जीवन की सबसे कोमल और कभी-कभी सबसे चुनौतीपूर्ण धड़कनें होते हैं। जब कोई रिश्ता टूटता है, तो दिल में दर्द, असमंजस और अकेलेपन की भावना उठती है। यह स्वाभाविक है। गीता में सीधे "तलाक" जैसे शब्द नहीं हैं, परंतु संबंधों के टूटने, परिवर्तन और जीवन की अनित्यताओं को समझने का गहरा मार्गदर्शन मिलता है। आइए, इस मार्ग पर साथ चलें।

दिल की दूरी, दिल की समझ
प्रिय मित्र, जब प्यार में दूरी या अलगाव आता है, तो यह केवल बाहरी दूरी नहीं होती, बल्कि मन की एक गहरी परीक्षा होती है। यह समय होता है जब तुम्हारे भीतर के प्रेम, धैर्य और समझ की असली कसौटी होती है। मैं जानता हूँ, यह अनुभव बहुत कठिन और अकेला महसूस कराता है, पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। इस यात्रा में गीता की अमृतवाणी तुम्हारे सहारे है।

अहंकार: अलगाव की दीवार या समझ का सेतु?
प्रिय शिष्य, तुम्हारे मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। जब हम अपने अंदर के अहंकार को देखते हैं, तो कभी-कभी वह हमें दूसरों से दूर कर देता है, एक दीवार बन जाता है। पर क्या यह सचमुच अलगाव ही है, या एक संकेत है कि हमें अपने आप को समझने की जरूरत है? चलो, मिलकर इस रहस्य को समझते हैं।