तनाव के बीच नेतृत्व की कला: तुम अकेले नहीं हो
जब जीवन की जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता है, तब मन में तनाव की लहरें उठती हैं। यह स्वाभाविक है कि जब हम कई भूमिकाएँ निभा रहे होते हैं, तो कहीं न कहीं हमारे अंदर बेचैनी और उलझन पैदा होती है। पर याद रखो, यही क्षण तुम्हें मजबूत और समझदार बनाते हैं। तुम अकेले नहीं हो, हर महान नेता ने इसी संघर्ष से गुजर कर सफलता पाई है।