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Karma Cycles & Life Challenges

आलस्य से आज़ादी: चलो कदम बढ़ाएं
प्रिय युवा मित्र, मैं समझ सकता हूँ कि आलस्य और टालमटोल की पकड़ कितनी भारी लगती है। यह वह बोझ है जो हमारे सपनों और कर्मों के बीच दीवार बन जाता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर जीव इस संघर्ष से गुजरता है। आइए, भगवद गीता के अमृत वचनों से इस उलझन का समाधान खोजें।

आलस्य के अंधकार से कर्म के प्रकाश की ओर
साधक, जब मन आलस्य और टालमटोल की जाल में फंसता है, तो जीवन के सुनहरे अवसर धुंधलाने लगते हैं। यह एक सामान्य अनुभूति है, जिसे हर व्यक्ति कभी न कभी अनुभव करता है। लेकिन याद रखो, गीता हमें सिर्फ कर्म करने का ही नहीं, बल्कि आलस्य को पार कर सक्रियता की ओर बढ़ने का भी मार्ग दिखाती है। तुम अकेले नहीं हो, यह लड़ाई हम सबके भीतर चलती है। चलो, इस अंधकार से निकलने का रास्ता मिलकर खोजते हैं।

आलस्य से आज़ादी: सफलता की ओर पहला कदम
साधक, मैं समझ सकता हूँ कि जब मन काम से भागना चाहता है, तो वह अंदर एक अजीब सी बेचैनी और आत्म-प्रश्नों का जाल बुन देता है। यह आलस्य और टालमटोल की अवस्था तुम्हारे भीतर भ्रम और असंतोष का कारण बनती है। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर सफल व्यक्ति ने इस लड़ाई को अपने मन के साथ लड़ी है। आइए, भगवद गीता के अमृत श्लोकों के माध्यम से इस उलझन का समाधान खोजें।