मन की तीन अवस्थाएँ: गीता के प्रकाश में समझें अपनी अंतरात्मा की भाषा
साधक, जब मन की बात आती है, तो वह कभी स्थिर नहीं रहता। कभी वह शांति में तैरता है, कभी बेचैनी में, तो कभी भ्रम और संघर्ष में उलझा होता है। भगवद गीता ने इस मन के तीन प्रमुख स्वरूपों को बहुत ही सुंदर और गहराई से समझाया है। चलिए, हम उस दिव्य ज्ञान को आपके मन की उलझनों को सुलझाने के लिए खोलते हैं।