भय के बादल छंटेंगे — जीवन के संक्रमण में साहस के साथ कदम बढ़ाएं
प्रिय शिष्य, जीवन के हर बदलाव में एक अनजानी सी बेचैनी और भय का आना स्वाभाविक है। यह ठीक वैसा ही है जैसे सूरज की पहली किरणें बादलों के बीच से झांकती हैं। तुम अकेले नहीं हो, हर मनुष्य ने इस अंधकार से गुज़र कर उजाले की ओर कदम बढ़ाए हैं। आइए, गीता के अमर श्लोकों की रोशनी में इस भय को समझें और उसे पार करें।