भय के साए में: मन की उलझन से मुक्ति का रास्ता
साधक, जब मन कल्पित भय से पीड़ित होता है, तो वह एक अदृश्य दुश्मन की तरह हमारे भीतर बेचैनी और अस्थिरता पैदा करता है। यह भय अक्सर वास्तविकता से नहीं, बल्कि हमारे ही विचारों और कल्पनाओं से जन्म लेता है। ऐसे समय में तुम्हें यह जानना जरूरी है कि तुम अकेले नहीं हो, हर मन इसी तरह की लड़ाई लड़ता है। चलो, गीता के अमृतवचन से इस भय के अंधकार को दूर करते हैं।