जब दिल टूटने का डर छा जाए: प्रियजनों को खोने का भय
प्रिय मित्र, यह डर तुम्हारे भीतर एक गहरी मानवीय भावना की अभिव्यक्ति है। हम सब अपने प्रियजनों से जुड़े होते हैं, उनकी हंसी, उनकी मौजूदगी, और उनके साथ बिताए पलों से हमारा मन जुड़ा होता है। इसलिए, खो देने का भय स्वाभाविक है। आइए, भगवद गीता की दिव्य शिक्षाओं के माध्यम से इस भय को समझें और उसे पार करने का मार्ग खोजें।
🕉️ शाश्वत श्लोक
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥
(अध्याय 2, श्लोक 23)