laziness

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

आलस्य की बेड़ियाँ तोड़ो — गीता से जागो!
प्रिय शिष्य, जब मन में सुस्ती और आलस्य की छाया गहराती है, तब यह समझना जरूरी है कि यह केवल एक क्षणिक अवस्था नहीं, बल्कि आत्मा के विकास में एक बाधा है। पर चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी आलस्य आता है, लेकिन गीता हमें सिखाती है कि कैसे उससे ऊपर उठकर कर्म और जागरूकता के मार्ग पर चलना है।

आलस्य से आज़ादी: चलो कदम बढ़ाएं
प्रिय युवा मित्र, मैं समझ सकता हूँ कि आलस्य और टालमटोल की पकड़ कितनी भारी लगती है। यह वह बोझ है जो हमारे सपनों और कर्मों के बीच दीवार बन जाता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर जीव इस संघर्ष से गुजरता है। आइए, भगवद गीता के अमृत वचनों से इस उलझन का समाधान खोजें।

आलस्य से लड़ो, जीवन को जाग्रत करो
साधक, जब हम अंदर से सुस्त और आलसी महसूस करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे जीवन की ऊर्जा कहीं खो गई हो। यह एक सामान्य अनुभव है, परन्तु इसे गीता की दिव्य शिक्षाओं से दूर किया जा सकता है। तुम अकेले नहीं हो, हर मानव के मन में कभी न कभी आलस्य आता है। चलो, गीता की रोशनी में इस आलस्य को दूर करने का मार्ग खोजते हैं।

आलस्य और उदासीनता: नेतृत्व की चुनौती पर एक साथी की आवाज़
प्रिय मित्र,
टीम के सदस्यों में आलस्य या प्रेरणा की कमी एक सामान्य लेकिन चुनौतीपूर्ण स्थिति है। यह आपके नेतृत्व की परीक्षा भी है और आपकी समझदारी की कसौटी भी। सबसे पहले जान लीजिए, आप अकेले नहीं हैं — हर नेता को कभी न कभी इस तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। आइए, भगवद् गीता के प्रकाश में इस समस्या को समझते हैं और उसका समाधान खोजते हैं।

आलस्य के बादल छंटेंगे, उजियारा फिर होगा
साधक, मैं समझता हूँ कि जब मन में आलस्य और सुस्ती घेर लेती है, तो जीवन की ऊर्जा कहीं खो सी जाती है। ऐसा लगता है जैसे कदम आगे बढ़ाने का साहस नहीं बचा। लेकिन जान लो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के मन में कभी न कभी यह लड़ाई होती है। यही समय है जब भगवद् गीता की अमर शिक्षाएं तुम्हें नई ऊर्जा और दिशा देंगी।

आलस्य के अंधकार से कर्म के प्रकाश की ओर
साधक, जब मन आलस्य और टालमटोल की जाल में फंसता है, तो जीवन के सुनहरे अवसर धुंधलाने लगते हैं। यह एक सामान्य अनुभूति है, जिसे हर व्यक्ति कभी न कभी अनुभव करता है। लेकिन याद रखो, गीता हमें सिर्फ कर्म करने का ही नहीं, बल्कि आलस्य को पार कर सक्रियता की ओर बढ़ने का भी मार्ग दिखाती है। तुम अकेले नहीं हो, यह लड़ाई हम सबके भीतर चलती है। चलो, इस अंधकार से निकलने का रास्ता मिलकर खोजते हैं।

आलस्य के अंधकार से निपटने का प्रकाश मार्ग
साधक,
तुम्हारे मन में जो आलस्य और जड़ता की छाया है, वह मानव जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। यह कोई कमजोरी नहीं, बल्कि समझने और पार करने का एक अवसर है। तुम अकेले नहीं हो, हर महान व्यक्ति ने इस तमसिक स्वभाव से जूझा है। आइए, हम गीता के दिव्य प्रकाश में इस अंधकार को दूर करने का मार्ग खोजें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक — भगवद् गीता 14.5

तमस् प्रजायते मृत्युस्मृतिर्मोहः तमः तथा।
जन्म मृतस्य च मेध्यस्य तत्त्वं विद्धि मामकम्॥

आलस्य के अंधकार से निकलने का दीपक: गीता का संदेश
साधक, जब मन आलस्य की जंजीरों में बंध जाता है, तो जीवन की ऊर्जा थम सी जाती है। तुम अकेले नहीं हो; यह संघर्ष हर मनुष्य के साथ आता है। भगवद गीता हमें बताती है कि आलस्य को कैसे परास्त किया जाए और आत्मा की शक्ति को जागृत किया जाए। आइए, इस दिव्य ग्रंथ के प्रकाश में हम अपने मन के आलस्य को समझें और उसे दूर करें।