भविष्य की अनिश्चितता में साहस के साथ कदम बढ़ाना
साधक, जब जीवन के रास्ते धुंधले और अनिश्चित लगें, तो यह स्वाभाविक है कि मन में चिंता और भय उठते हैं। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर महान योद्धा ने इसी अनिश्चितता का सामना किया है। आज हम भगवद गीता के अमृत शब्दों से उस साहस को जगाएंगे जो तुम्हारे भीतर छिपा है।
🕉️ शाश्वत श्लोक
संकल्प और साहस के लिए गीता का संदेश
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(भगवद गीता, अध्याय 2, श्लोक 47)