धैर्य के साथ कर्म करो, संतोष को समझो
साधक, जीवन में संतोष और धैर्य दो ऐसे साथी हैं जो हमें स्थिरता और सफलता की ओर ले जाते हैं। जब हम संतोष को "टालने" की बात करते हैं, तो असल में हम उस आराम या आलस्य की बात कर रहे होते हैं जो कर्म से दूर रखता है। आइए, गीता के अमूल्य उपदेशों से इस उलझन को सुलझाएं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(भगवद गीता 2.47)