टूटे रिश्तों की चुप्पी में भी तुम्हारा साथ है
साधक, जब रिश्ते टूटते हैं और शब्द थम जाते हैं, तब मन एक अनजानी खामोशी में खो सा जाता है। यह चुप्पी कभी-कभी भारी लगती है, जैसे भीतर कोई तूफ़ान छुपा हो। लेकिन जान लो, तुम अकेले नहीं हो। यह समय है अपने भीतर की आवाज़ सुनने का, अपने दिल की गहराइयों को समझने का। चलो, गीता के अमृत वचन से इस चुप्पी को सहारा देते हैं।