आध्यात्मिक पहचान: व्यस्त जीवन में भी अपने सच्चे स्वरूप को न भूलें
साधक, जब हम काम और परिवार की जिम्मेदारियों में व्यस्त होते हैं, तब हमारी आत्मा की आवाज़ कहीं खो जाती है। यह स्वाभाविक है कि दुनिया की भाग-दौड़ में हम अपनी आध्यात्मिक गहराई को भूल जाएं। परंतु याद रखो, तुम्हारी असली पहचान न तो नौकरी है, न ही परिवार, बल्कि वह आत्मा है जो शाश्वत और अविनाशी है। आइए, गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का समाधान खोजें।