चलो दोषबोध से मुक्त होकर नई शुरुआत करें
साधक, मैं समझ सकता हूँ कि जब हम अपने अतीत के कर्मों या निर्णयों के लिए दोषबोध महसूस करते हैं, तो मन भारी और असहज हो जाता है। यह बोझ हमें आगे बढ़ने से रोकता है, हमारी शांति छीन लेता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मनुष्य के जीवन में कभी न कभी यह अनुभव आता है। आइए, भगवद्गीता के दिव्य प्रकाश से इस अंधकार को दूर करें और आत्मा को मुक्त करें।