जीवन के मोड़ पर: फंसा हुआ महसूस करना स्वाभाविक है
साधक, जब मन कहता है कि "मैं फंसा हुआ हूँ," तो यह एक संकेत है — तुम्हारे भीतर परिवर्तन की इच्छा जाग रही है। करियर बदलना एक बड़ा कदम है, और इस उलझन में होना भी सामान्य है। चलो, भगवद गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का उत्तर तलाशते हैं।