स्थिर मन का रहस्य: "स्थितप्रज्ञ" की ओर पहला कदम
साधक,
जब मन अति व्याकुल और विचारों की लहरें उफान पर हों, तब "स्थितप्रज्ञ" की अनुभूति एक दूर का स्वप्न लगती है। परन्तु यह स्वप्न नहीं, बल्कि गीता का एक अनमोल वरदान है, जिसे समझ कर और अभ्यास कर के हम सब पा सकते हैं। आइए, इस रहस्य को साथ मिलकर खोलें।