समर्पण की शक्ति: जब मन पूरी तरह झुक जाता है
साधक,
जब जीवन की उलझनों में हम स्वयं को खो देते हैं, तब एक ऐसी शक्ति की आवश्यकता होती है जो हमें संपूर्ण विश्वास के साथ अपने अस्तित्व को समर्पित करने का मार्ग दिखाए। यह समर्पण, बिना शर्त और पूर्ण, हमारे भीतर की बेचैनी को शांति में बदल देता है। भगवद गीता में इसी समर्पण की महत्ता को गहराई से समझाया गया है।