आज से जुड़ो, अतीत और भविष्य को छोड़ो
साधक, जब मन अतीत की यादों में उलझा हो या भविष्य की चिंता से घिरा हो, तब यह समझना बहुत जरूरी है कि जीवन का सार वर्तमान में ही निहित है। भगवद् गीता हमें सिखाती है कि अतीत और भविष्य के बंधनों से मुक्त होकर, कैसे हम शांति और सच्ची स्वतंत्रता पा सकते हैं।