भावनात्मक निर्भरता से आज़ादी की ओर पहला कदम
साधक,
जब मन किसी पर अत्यधिक निर्भर हो जाता है, तो यह अंदर की शक्ति को कमजोर कर देता है। यह निर्भरता हमें अपने भीतर की शांति से दूर ले जाती है। लेकिन जान लो, तुम अकेले नहीं हो—हर मनुष्य के जीवन में यह संघर्ष होता है। आइए, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश में इस उलझन को सुलझाएं और अपने भीतर के सच्चे स्वाभाव को पहचानें।