आसक्ति से मुक्त होकर कर्म करना — जीवन का सच्चा रहस्य
साधक, जीवन में जब हम अपने कर्तव्यों को निभाते हैं पर मन में लगाव और अपेक्षाएँ जुड़ी होती हैं, तब हम अक्सर दुख और चिंता के जाल में फंस जाते हैं। तुम्हारा यह प्रश्न — "बिना आसक्ति के अपना कर्तव्य निभाना" — जीवन की गहरी समझ की ओर पहला कदम है। चलो, इसे गीता के प्रकाश में समझते हैं।