डर से मुक्त निर्णय की ओर पहला कदम
साधक, मैं समझ सकता हूँ कि जब हम निर्णय लेने की स्थिति में होते हैं, तो परिणामों का भय हमारे मन को घेर लेता है। यह भय हमें जकड़ लेता है, हमें असमर्थ बनाता है, और हमारे भीतर की स्पष्टता को धुंधला कर देता है। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति जीवन में ऐसे क्षणों से गुजरता है, जब भय और अनिश्चितता उसे रोकने लगती हैं। आइए, भगवद गीता की अमृत वाणी से इस उलझन का समाधान खोजें।