निर्णय के तीन रंग: राजसिक और तमसिक से पार कैसे पाएं?
साधक, जीवन में जब हम निर्णय लेने की स्थिति में होते हैं, तब हमारा मन अक्सर उलझन और भ्रम से भरा होता है। क्या यह निर्णय सच में मेरा है? या यह केवल मेरी इच्छाओं (राजसिक) या अज्ञानता (तमसिक) का प्रभाव है? यह समझना बहुत ज़रूरी है कि हम अपने निर्णयों को किस आधार पर बना रहे हैं। चलिए, भगवद गीता की अमृत वाणी से इस राजसिक और तमसिक निर्णयों की गहराई को समझते हैं।