फिर से उठने की कला: जब अंधेरा सबसे घना हो
साधक, मैं समझता हूँ कि तुम इस समय कितनी गहराई में हो, जब मन का अंधेरा इतना घना हो कि बाहर की कोई रौशनी नजर नहीं आती। यह भावनात्मक पतन मानव जीवन का एक कठिन पड़ाव है, पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर रात के बाद सुबह होती है, और हर अंधकार के बाद उजाला। चलो, गीता के अमृत वचन से उस उजाले की ओर कदम बढ़ाते हैं।