अलगाव की कोमल कला: बिना चोट पहुँचाए दूरी बनाना
साधक, यह मनुष्य जीवन की एक सूक्ष्म और संवेदनशील चुनौती है — जब हमें अपने और दूसरों के बीच दूरी बनानी हो, पर बिना किसी के दिल को आहत किए। तुम्हारा यह प्रश्न इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारा हृदय कितना कोमल और समझदार है। चलो, इस राह को गीता के प्रकाश में देखना और समझना शुरू करते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
संसार से अलगाव और संतुलित व्यवहार का सूत्र:
मज्जन्ते च तानि सर्वाणि सङ्गेऽस्त्वकर्मणि च।
तस्यात्मा विनद्योतते न तत्र संशयः कुतः॥
(भगवद्गीता 5.10)