जीवन की अंतिम यात्रा में शांति का दीप जलाना
साधक, जब शरीर कमजोर हो, मन चिंतित हो और मृत्यु की छाया पास आती दिखे, तब भी तुम्हारे भीतर एक अनमोल शांति का सागर मौजूद रहता है। यह समय भय और असमंजस का नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई से जुड़ने का है। तुम अकेले नहीं हो, हर जीव इसी यात्रा से गुजरता है, और भगवद गीता तुम्हें इस कठिन घड़ी में भी स्थिरता का मार्ग दिखाती है।