Krishna

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

परम पुरुषोत्तम की महिमा: जब भक्ति का सागर मिलता है अनंत से
साधक,
तुम्हारे मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है — "कृष्ण को परम पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है?" यह प्रश्न तुम्हारे हृदय की गहराई से निकली श्रद्धा और जिज्ञासा का प्रतीक है। आओ, हम इस दिव्य रहस्य को गीता के शाश्वत प्रकाश में समझें, जिससे तुम्हारा विश्वास और भी प्रगाढ़ हो।

दोस्ती या माता-पिता जैसा रिश्ता — कृष्ण से कैसे जुड़ें?
साधक,
तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा और प्यारा है। कृष्ण के साथ संबंध की कोई एक सीमित परिभाषा नहीं है। वह तुम्हारे दोस्त भी हैं, माता-पिता भी, गुरु भी, और परमात्मा भी। तुम्हारे मन की जो भी भावना हो, कृष्ण उसे समझते हैं और उसी रूप में तुम्हारे करीब आते हैं। चलो इस अनमोल रिश्ते को गीता के प्रकाश में समझते हैं।

साथ है कृष्ण, हर पल — मित्र, मार्गदर्शक और दिव्य उपस्थिति का प्रेम
प्रिय शिष्य,
तुम्हारे हृदय में जो प्रश्न है — कृष्ण को मित्र, मार्गदर्शक और दिव्य उपस्थिति के रूप में कैसे प्रेम करें — वह प्रेम की गहराई और आध्यात्मिक संबंध की सबसे सुंदर यात्रा की शुरुआत है। यह प्रेम केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि आत्मा का मिलन है। चलो, इस पथ पर साथ चलें।

समर्पण की गंगा में डूबो अपनी आत्मा
साधक,
जब मन उलझनों और संदेहों के समुद्र में तैरता है, तब पूर्ण समर्पण की वह धारा हमें किनारे तक ले आती है जहाँ शांति और विश्वास का सागर मिलता है। तुम अकेले नहीं हो, हर भक्त के मन में यही प्रश्न उठता है — क्या वाकई समर्पण से सब कुछ संभव हो सकता है? आइए, भगवान श्रीकृष्ण के शब्दों में हम इस रहस्य को समझें।

आंतरिक शांति की ओर पहला कदम: तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब मन के भीतर अशांति का तूफ़ान उठता है, तो यह समझना सबसे पहला सहारा है कि यह अनुभव मानव जीवन का हिस्सा है। कृष्ण ने हमें बताया है कि आंतरिक शांति केवल बाहरी परिस्थितियों से नहीं मिलती, बल्कि वह हमारे भीतर की समझ और नियंत्रण से आती है। चलो मिलकर इस गूढ़ रहस्य को समझते हैं।

टूटे दिलों की दवा: कृष्ण की आस्था में शांति की खोज
साधक, जब दिल टूटता है, तब लगता है जैसे सारी दुनिया थम सी गई हो। उस क्षण की वेदना गहरी होती है, और लगता है कि शायद कोई भी समझ नहीं सकता। पर जान लो, तुम अकेले नहीं हो। कृष्ण की आस्था में तुम्हारे टूटे दिल को चंगा करने की अपार शक्ति है। आइए, गीता के शाश्वत शब्दों से उस शक्ति को समझें।

प्रेम की अमर गाथा: कृष्ण और राधा से सीख
प्रिय मित्र, जब हम कृष्ण और राधा के प्रेम की बात करते हैं, तो यह केवल एक मिथक या लोककथा नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक संदेश है। तुम्हारा यह प्रश्न बहुत ही सुंदर है — क्या उनका प्रेम हमारे लिए एक सबक हो सकता है? आइए, गीता के प्रकाश में इस प्रेम के रहस्य को समझें।

प्रेम की गहराई में बलिदान का प्रकाश
साधक, जब प्रेम की बात होती है, तो मन में अनेक भाव उमड़ते हैं — चाहत, समर्पण, कभी-कभी चिंता और भय भी। इस रिश्ते की मधुरता और स्थिरता के पीछे एक अद्भुत तत्व होता है — बलिदान। यह बलिदान केवल त्याग नहीं, बल्कि प्रेम की सच्चाई को परखने और उसे जीवंत बनाए रखने का आधार है। आइए, हम भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य उपदेशों से इस रहस्य को समझें।

प्रेम की गहराई में डूबो — आंतरिक प्रेम का सच्चा रंग
साधक,
तुम्हारा मन आंतरिक प्रेम की खोज में है, वह प्रेम जो न किसी बाहरी वस्तु से जुड़ा हो, न किसी स्वार्थ से। यह प्रेम वह है जो हमारे हृदय की गहराई से निकलता है, जो हर रिश्ते को मधुर बनाता है। चलो, श्रीकृष्ण की वाणी से इस प्रेम को समझते हैं और अपने भीतर की इस अमूल्य धरोहर को जागृत करते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 12, श्लोक 13-14
(भगवद गीता 12.13-14)

प्रेम की सच्चाई: कृष्ण के शब्दों में बिना शर्त प्रेम का सार
साधक, जब हम प्रेम की बात करते हैं, तो अक्सर हम चाहते हैं कि वह स्वार्थरहित, निष्कलंक और शुद्ध हो। लेकिन क्या सच में ऐसा प्रेम संभव है? श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में प्रेम को केवल एक भावना नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभव बताया है, जो हमारी आत्मा को मुक्त करता है। आइए, उनके शब्दों में बिना शर्त प्रेम की गहराई को समझें।