शोक के सागर में भी एक दीपक जलाएं
साधक, जब हम जीवन के अनमोल रिश्तों को खोते हैं, तो मन भारी हो जाता है, और आंसुओं का सैलाब बहने लगता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, क्योंकि प्रेम ने जो गहरा बंधन बनाया था, वह टूटता है। तुम अकेले नहीं हो, हर मानव इस अनुभव से गुजरता है। आइए, भगवद गीता की अमृत वाणी से उस शक्ति को खोजें जो तुम्हें इस दुख के समय भी स्थिर और मजबूत बनाए रखे।