emotions

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

दिल की लहरों में स्थिरता की खोज
साधक, जब हम प्रेम की गहराइयों में उतरते हैं, तब हमारे मन में भावनाओं की लहरें उठती हैं — कभी खुशी, कभी उदासी, कभी आश्चर्य, कभी बेचैनी। यह स्वाभाविक है। प्रेम का मार्ग सरल नहीं होता, परंतु गीता की शिक्षाएं इस भावात्मक तूफान में भी हमें स्थिरता और शांति का दीपक दिखाती हैं। आइए, इस यात्रा में हम गीता के शब्दों से अपने मन को सहारा दें।

भावनात्मक ब्लैकमेल: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय मित्र, जब कोई हमारे दिल और भावनाओं का इस्तेमाल हमारे ऊपर दबाव बनाने के लिए करता है, तो यह बहुत भारी और उलझन भरा अनुभव होता है। गीता हमें ऐसे समय में भी अपनी आंतरिक शक्ति और समझ को बनाए रखने का मार्ग दिखाती है। चलिए, इस कठिन परिस्थिति में गीता के अमूल्य उपदेशों से हम अपने मन को सशक्त बनाते हैं।

दिल की गहराइयों से: भावनात्मक संवेदनशीलता की गीता में खोज
साधक, जब हम अपने रिश्तों और भावनाओं की बात करते हैं, तो यह समझना आवश्यक है कि संवेदनशीलता केवल कमजोरी नहीं, बल्कि एक गहरा शक्ति का स्रोत है। यह वह पुल है जो हमारे हृदय को दूसरों के हृदय से जोड़ता है। आइए, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश में इस यात्रा को समझें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 12, श्लोक 13-14
(भगवद गीता 12.13-14)

अहं के आईने में: प्रशंसा-आलोचना का सच
साधक,
तुम्हारे मन में प्रशंसा और आलोचना के बीच झूलते अहं का प्रश्न बहुत गूढ़ है। यह झूलना स्वाभाविक है, क्योंकि मन की गहराइयों में हमारा अहं हमारे अस्तित्व की रक्षा करता है। परंतु, जब यह अहं प्रशंसा से फूलता है या आलोचना से सिकुड़ता है, तब मन अशांत हो जाता है। आइए, गीता के प्रकाश में इस उलझन को समझें और अपने अहं को स्थिर करें।

दिल की डोर को मजबूती से थामो: रिश्तों और भावनाओं में निडर बनो
साधक,
रिश्ते और भावनाएँ हमारे जीवन के सबसे नाज़ुक और गहरे पहलू हैं। उनमें निडर रहना, मतलब अपने मन को भय से मुक्त रखना, एक साहसिक और आध्यात्मिक यात्रा है। यह डरना कि कहीं हम चोट न खाएं, या संबंध टूट न जाएं, स्वाभाविक है। परंतु भगवद गीता हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने भीतर की शक्ति को पहचानकर इन भावनाओं के बीच भी स्थिर और निर्भीक रह सकते हैं।