root cause

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

आसक्ति के बंधन से मुक्ति की ओर पहला कदम
प्रिय मित्र, जब हम अपने मन की गहराई में झांकते हैं, तो अक्सर पाते हैं कि हमारी इच्छाएँ और आदतें हमें अपने वश में कर लेती हैं। ये आसक्तियाँ हमें अपनी पहचान, सुख-दुख और शांति से दूर ले जाती हैं। परंतु समझिए, आप अकेले नहीं हैं, यही संघर्ष मानव जीवन का हिस्सा है। भगवद् गीता में इस समस्या का मूल कारण और समाधान दोनों ही स्पष्ट रूप से बताए गए हैं।

क्रोध की जड़ को समझना: शांति की ओर पहला कदम
साधक, जब मन में क्रोध उठता है, तो वह केवल एक भाव नहीं, बल्कि भीतर के एक गहरे कारण की आवाज़ होता है। यह समझना जरूरी है कि क्रोध का मूल कारण क्या है, ताकि हम उसे नियंत्रित कर सकें और अपने मन को शांति दे सकें। आइए, भगवद गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाते हैं।

भय की जड़: अज्ञान के अंधकार में खोया मन
साधक, तुम्हारे मन में उठ रहे भय और चिंता के सवाल को समझना स्वाभाविक है। जीवन में भय का अनुभव सभी करते हैं, परंतु गीता हमें यह सिखाती है कि भय की जड़ क्या है और उससे कैसे मुक्त हुआ जा सकता है। तुम अकेले नहीं हो, यह यात्रा हर व्यक्ति की होती है। आइए, हम गीता के प्रकाश में इस भय के मूल को समझें और उससे पार पाने का मार्ग खोजें।