अपनी राह पर चलो, चाहे कठिन हो
साधक, जब हम दूसरों के धर्म या रास्ते को देखकर अपनी तुलना करते हैं, तो मन में कई उलझनें आती हैं। यह सवाल कि "किसी और के धर्म में सफल होने से बेहतर है कि आप अपने धर्म में असफल हों?" बहुत गहरा है। इसका उत्तर गीता की शिक्षाओं में छिपा है, जो हमें हमारी व्यक्तिगत यात्रा और धर्म का सम्मान करना सिखाती हैं।