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Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

भाग्य और कर्म के बीच: कृष्ण के प्रेमपूर्ण स्पर्श की समझ
साधक, यह प्रश्न तुम्हारे मन की गहराई से उठता हुआ प्रेम और विश्वास की खोज को दर्शाता है। कर्म और भाग्य की जटिलता में फंसे हुए हम अक्सर भ्रमित हो जाते हैं कि हमारी मेहनत का फल हमारा है या फिर सब कुछ ईश्वर की इच्छा। परंतु जब कृष्ण की बात आती है, तो यह द्वैत मिट जाता है और एक दिव्य समरसता का अनुभव होता है। तुम अकेले नहीं हो, यह यात्रा हर भक्त की है, और मैं तुम्हारे साथ हूँ।

कर्म के पथ पर पहला कदम: गीता की भूमिका-आधारित कर्तव्य की समझ
साधक, जब जीवन के मोड़ पर हम अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझने की कोशिश करते हैं, तब मन अक्सर उलझन में पड़ जाता है। तुम्हारा यह प्रश्न – "गीता भूमिका-आधारित कर्तव्यों के बारे में क्या कहती है?" – जीवन के उस गहरे सत्य को जानने की चाह है, जो तुम्हें सही दिशा देगा। आइए, हम साथ मिलकर इस दिव्य ग्रंथ की बातों को समझें और अपने जीवन को सार्थक बनाएं।

डर की बेड़ियाँ तोड़ो: कर्म से भागना समाधान नहीं
साधक, जब हम कर्म के भय से घिरे होते हैं, तब हमारा मन थम सा जाता है। यह डर हमें आगे बढ़ने से रोकता है, हमारी ऊर्जा को जकड़ लेता है। पर याद रखो, कर्म का डर तुम्हारा मित्र नहीं, बल्कि तुम्हारा भ्रम है। इसे समझना और उसके पार जाना ही जीवन की सच्ची स्वतंत्रता है।