सूखे मौसम में भी जीवन खिलता है — आध्यात्मिक सूखे को समझना और पार करना
साधक,
तुम्हारी यह यात्रा, जो प्रेम और भक्ति के पथ पर है, कभी-कभी सूखे, शुष्क और वीरान पड़ावों से गुजरती है। यह स्वाभाविक है कि जब मन में कोई अनुभूति न हो, जब दिल सूना लगे, तब असहजता होती है। पर याद रखो, सूखे मौसम के बाद भी बारिश आती है, और धरती हरी-भरी हो जाती है। तुम्हारा भी यही अनुभव होगा। मैं तुम्हारे साथ हूँ, और हम मिलकर इस सूखे को पार करेंगे।