अराजकता के बीच भी आत्मा की शांति खोजो
साधक, जब जीवन के तूफान और अराजकता अपने चरम पर हों, तब भी तुम्हारे भीतर एक अविचल, शाश्वत प्रकाश मौजूद है — वह है तुम्हारी उच्चतर आत्मा। यह प्रकाश तुम्हें गहराई से जोड़ता है, तुम्हारे अस्तित्व की सच्चाई से। इस अराजकता में खुद को खोना स्वाभाविक है, पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। चलो, मिलकर उस शाश्वत शक्ति से जुड़ने का मार्ग खोजें।
🕉️ शाश्वत श्लोक
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ||
— भगवद्गीता 2.48