भय से शौर्य की ओर: अर्जुन का परिवर्तन और हमारा भी सफर
साधक, जब जीवन की परिस्थिति इतनी विकट हो कि मन में भय और संदेह घुलने लगें, तब कृष्ण के शब्द जैसे अमृत की बूंदें हमारे हृदय को शीतल कर देते हैं। अर्जुन का भी वही अनुभव था—जब युद्धभूमि में वह अपने कर्तव्य और परिणाम के भय से जूझ रहा था। आइए, उस परिवर्तन को समझें और अपने मन के भय को भी उसी प्रकाश से दूर करें।