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Mind Emotions & Self Mastery
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Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

लत के जाल से निकलने का पहला प्रकाश
साधक, जब हम लत की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि यह केवल एक आदत नहीं, बल्कि हमारे मन और आत्मा की गहरी प्रवृत्तियों का परिणाम है। तुम अकेले नहीं हो; हर कोई कभी न कभी किसी न किसी लत के चक्र में फंसा हुआ महसूस करता है। यह जाल हमें अपने भीतर के असंतोष, भय, या अनियंत्रित इच्छाओं से बचाने की एक कोशिश होती है।

निर्णय के तीन रंग: राजसिक और तमसिक से पार कैसे पाएं?
साधक, जीवन में जब हम निर्णय लेने की स्थिति में होते हैं, तब हमारा मन अक्सर उलझन और भ्रम से भरा होता है। क्या यह निर्णय सच में मेरा है? या यह केवल मेरी इच्छाओं (राजसिक) या अज्ञानता (तमसिक) का प्रभाव है? यह समझना बहुत ज़रूरी है कि हम अपने निर्णयों को किस आधार पर बना रहे हैं। चलिए, भगवद गीता की अमृत वाणी से इस राजसिक और तमसिक निर्णयों की गहराई को समझते हैं।

अंधकार और बेचैनी के बीच: मन के रंगों को समझना
साधक,
जब मन की गहराइयों में तमस और रजस के प्रभाव छुपे हों, तो उसे पहचानना कभी-कभी कठिन होता है। पर चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। हर मन में ये तीन गुण — सत्त्व, रजस और तमस — होते हैं, और इन्हें समझना, अपने मन की प्रकृति को जानना आध्यात्मिक यात्रा का पहला कदम है। चलो, मिलकर इस रहस्य को खोलते हैं।

मन की तीन अवस्थाएँ: गीता के प्रकाश में समझें अपनी अंतरात्मा की भाषा
साधक, जब मन की बात आती है, तो वह कभी स्थिर नहीं रहता। कभी वह शांति में तैरता है, कभी बेचैनी में, तो कभी भ्रम और संघर्ष में उलझा होता है। भगवद गीता ने इस मन के तीन प्रमुख स्वरूपों को बहुत ही सुंदर और गहराई से समझाया है। चलिए, हम उस दिव्य ज्ञान को आपके मन की उलझनों को सुलझाने के लिए खोलते हैं।