अंधकार में भी जलती रहे दीपक की लौ — आंतरिक विश्वास की खोज
साधक,
जब जीवन के तूफान तेज़ होते हैं, और हर तरफ अंधेरा घिर आता है, तब सबसे बड़ी आवश्यकता होती है — अपने भीतर एक ऐसा दीपक जलाए रखने की, जो कभी न बुझे। कठिन समय में अटूट आंतरिक विश्वास बनाना कोई जादू नहीं, बल्कि एक गहन प्रक्रिया है, जो भगवद गीता के अमृतवचन हमें सिखाते हैं। आइए, इस मार्ग पर साथ चलें।
🕉️ शाश्वत श्लोक
ध्याय 2, श्लोक 47
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥