व्यसन के जाल से मुक्ति की ओर पहला कदम
साधक, जब मन किसी आदत या व्यसन में फंस जाता है, तो वह अपने आप को खो देता है। यह एक ऐसा जाल है जो मन को भ्रमित करता है और आत्मा की शांति को छीन लेता है। तुम अकेले नहीं हो, हर व्यक्ति के मन में कभी न कभी ऐसी लड़ाई होती है। आइए, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश से इस उलझन को समझें और उससे बाहर निकलने का मार्ग खोजें।